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Hathras Stampede: नारायण साकार के चरणों की धूल को लेकर मची भगदड़, जिसके सत्संग में चली गई 121 की जान

Hathras Stampede: बाबा का जहां भी सत्संग होता है वहां उसके अनुयायी लाखों की संख्या में पहुंचते हैं। नारायण हरि साकार नाम से प्रसिद्ध जिस सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के सत्‍संग में भगदड़ से 121 लोगों ने जान गंवाई। उस पर यौन शोषण सहित कई आपराधिक मामले पहले से हैं। इसका खुलासा पूर्व DGP विक्रम सिंह ने किया।

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Hathras Stampede News

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सत्संग के दौरान भगदड़ की घटना के बाद से सूरज पाल उर्फ भोले बाबा चर्चा में है। भोले बाबा सूट-टाई पहनकर अपनी पत्नी के साथ सत्संग में बैठता है और लाखों की संख्या में आए भक्तों को ज्ञान देता है। सूरज पाल के कार्यक्रम में उसके अनुयायी जयकारा भी लगाते हैं और कहते हैं, ‘नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा के लिए जय-जयकार हो।’ इसके अलावा सूरज पाल उर्फ भोले बाबा खुद को परमात्मा का चौकीदार बताता है। लेकिन अनुयायी उसे भगवन मानते हैं। बाबा की खुद की आरती और भजन गाई जाती है।

वहीं बाबा के अनुयायियों की बात करें तो सबसे ज्यादा संख्या जाटव समाज की है। उसके बाद बाल्मीकि वर्ग और अन्य पिछड़ा तबके का नंबर आता है। बाबा का जहां भी सत्संग होता है वहां उसके अनुयायी लाखों की संख्या में पहुंचते हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को हाथरस जिल के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में भोले बाबा का सत्संग हुआ। सत्संग खत्म होते ही मैदान शमशान बन गया और सैंकड़ों लोगों की मौच हो गई। महिलाओं और बच्चों की चीख-पुकार से हर किसी का दिल दहल गया। घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

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Hathras Stampede: आखिर क्या हुआ था?

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को नारायण साकार विश्व हरि के नाम से प्रसिद्ध भोले बाबा के कार्यक्रम में लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ जुटी। कार्यक्रम स्थल पर प्रशासन की परमिशन से ज्यादा भक्त सत्संग कार्यक्रम में पहुंचे। सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक इस सत्संग में करीब 40 हजार लोग मौके पर मौजूद थे। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मौजूद होने और पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने की वजह से ये हादसा हुआ और लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

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उनका प्रवचन ख़तम होते ही वे निकल पड़े फिर लोग बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए इस कदर दौड़े की उन्हें किसी और की जान की परवाह ही नहीं हुई और एक-दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ गए। पुलिस ने इस हादसे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। बाबा की तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही है। पुलिस उसके आश्रमों तक पहुंच रही है। इस हादसे में अब तक 121 लोगों की जान चली गई है, जिसमें महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। स्थिति भयावह तब हो गई जब एंबुलेंस सही समय पर नहीं पहुंची और जब लोग जिला अस्पताल पहुंचाए जाने लगे। क्योंकि अस्पताल का प्रशासन भी इस तरह के केस के लिए तैयार नहीं था।

Hathras Stampede: पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने इस पर क्या कहा?

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि इतनी बड़ी संख्‍या में मौतें हुई हैं। इसकी नैतिक और कानूनी जिम्‍मेदारी किसकी है? बाबा के ऊपर छह अपराध हैं, इनमें यौन शोषण भी है। काहे बात के बाबा हैं, कौन से बाबा हैं? उन्‍होंने कहा कि यदि मान भी लीजिए कि बाबा हैं, बड़े पूजनीय हैं, तब भी कम से कम बेसिक पुलिस व्‍यवस्‍था, आवागमन के रास्‍ते और यदि कोई आपदा-विपदा होती है तो कोई इमरजेंसी संबंधित व्‍यवस्‍था तो होनी चाहिए। 

उन्‍होंने कहा कि दुर्भाग्‍य यह है कि कोई भी बाबा का आडंबर ओढ़ कर आ जाए तो ऐसा लगता है कि साक्षात नारायण का अवतार है। जिसके ऊपर छह-सात अपराध हों, यौन शोषण तक के मामले हों, वो खुद को चमत्‍कारिक बता रहा है। इससे मैं तो सहमत नहीं हो सकता। उन्‍होंने कहा कि इस मामले में स्‍थानी प्रशासन पर जिम्‍मेदारी होनी चाहिए थी और अब तो खैर होगी ही। 

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Hathras Stampede: पहचान कैसे की जाए मरे हुए भक्तोंकी?

घटना में मारे गए कई लोगों की पहचान रात 12 बजे तक भी नहीं हो सकी। जिन लोगों की पहचान हुई है, प्रशासन ने उनकी सूची जारी की है। लेकिन लावारिस लोगों के परिजनों के सामने उन्हें तलाशने की चुनौती है।

नारायण साकार के सत्संग में आने वाले अधिकतर लोग कमज़ोर आर्थिक वर्ग और पिछड़ी जातियों से हैं। एक दूसरे के संपर्क में आने से ये अपने आप को बाक़ी सत्संगियों के क़रीब पाते हैं और जीवन में आ रही चुनौतियों के समाधान के लिए नारायण साकार का सहारा लेते हैं।

स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक़, नारायण साकार हाथरस में पिछले कुछ सालों में कई बार सत्संग कर चुके हैं और हर बार पिछली बार से अधिक भीड़ होती है जो इस बात का इशारा है कि सत्संग से जुड़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

Reference: News18

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